All Hindi Poetry in Philadelphia
चाहे अब स्याही सूख जाएँ पर कलम को ना रूकने दुँगी भरूँगी अपना लहु कलम में सच को पन्नो पर Read more...
कोशिश कर ही रही थी तेरी यादो को भूलाने की कमबख़्त तभी मेरे सामने चाय आ गई। Read more...
बात कर रहे है कि बात नही करनी ये बात भी ना जाने क्यो ही कर रहे हैं। Read more...
यहाँ जख़्म वहाँ जख़्म हर जगह जख़्म ही जख़्म हैं ये लाल रंग में लिपटे हुए तो कभी आँसुओ में Read more...